दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल, क़ज़ा के बाद
है इबतिदा हमारी तेरी इंतिहा के बाद
जीना वो किया कि दिल में ना हो तेरी आरज़ू
बाक़ी है मौत ही दिल-ए-बे मुद्दा के बाद
तुझ से मुक़ाबले की किसे ताब है विले
मेरा लहू भी ख़ूब है तेरी हिना के बाद
लज़्ज़त हनूज़ माइदा-ए-इशक़ में नहीं
आता है लुत्फ -जुर्म-ए-तमन्ना, सज़ा के बाद
क़तल ह्सैन असल में मर्ग यज़ीद है
इस्लाम ज़िंदा होता है हर कर्बला के बाद
है इबतिदा हमारी तेरी इंतिहा के बाद
जीना वो किया कि दिल में ना हो तेरी आरज़ू
बाक़ी है मौत ही दिल-ए-बे मुद्दा के बाद
तुझ से मुक़ाबले की किसे ताब है विले
मेरा लहू भी ख़ूब है तेरी हिना के बाद
लज़्ज़त हनूज़ माइदा-ए-इशक़ में नहीं
आता है लुत्फ -जुर्म-ए-तमन्ना, सज़ा के बाद
क़तल ह्सैन असल में मर्ग यज़ीद है
इस्लाम ज़िंदा होता है हर कर्बला के बाद
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